Saturday, August 31, 2024
Thursday, August 29, 2024
कुष्ठ रोगी खोजी अभियान
घर-घर मार्किंग के कोड का विवरण :-
L- सर्वे के दौरान सभी परिवार के सदस्य की जांच कर ली है।
X- परिवार का कोई एक या एक से अधिक सदस्य जांच करने से बच गया है।
XR- परिवार के सभी सदस्यों ने शारीरिक जांच करने से मना कर दिया है।
XH- परिवार में एक है एक से अधिक सदस्य उपस्थित नहीं है परंतु अभियान की अवधि में पुनः घर पर लौट आएंगे।
XV- परिवार में एक या एक से अधिक सदस्य नहीं है और ना ही अभियान की आवश्यकता पुनः घर पर लौटेंगे।
XL- घर पर ताला है परंतु अभियान की अवधि तक लौटकर आ जाएंगे।
नोट- X मार्क किये गए सभी घरों की revisit करनी होगी।
Wednesday, August 28, 2024
Sunday, August 25, 2024
Thursday, August 22, 2024
Wednesday, August 21, 2024
स्तन कैंसर से बचाव के लिए स्तन स्व-परीक्षण
Breast Self Examination to prevent Breast Cancer-
वीडियो डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक करे- https://drive.google.com/file/d/1P-cLEz1e78Ys-zePTORCr2xeHeMKjQLh/view?usp=sharing
Friday, August 16, 2024
Wednesday, August 14, 2024
"स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं"
Tuesday, August 13, 2024
कर्मयोगी रजिस्ट्रेशन प्रोसेस
रजिस्ट्रेशन के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे-
https://portal.igotkarmayogi.gov.in/public/signup
रजिस्ट्रेशन की अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें-
Tuesday, August 6, 2024
स्वास्थ्य दल आपके द्वार गतिविधियाँ
"स्वास्थ्य दल आपके द्वार"
(5 अगस्त से 31 अगस्त 2024)
1. एन्टीलार्वल व एन्टी एडल्ट तथा सोर्स रिडक्शन गतिविधियों का क्रियान्वयन करे।
2. चिकित्सा संस्थानों पर लार्वा डेमोस्ट्रेशन करें।
3. पॉजिटिव केस पाए जाने पर घर-घर सर्वे, payratrium स्प्रे, टेमिफोस, क्रूड ओइल डलवाया जाना।
4. ओडिके के माध्यम से आशा, एएनएम , सीएचओ, डीबीसी द्वारा मरुधर एप पर गतिविधियों का इंद्राज करना।
5. वेक्टर बोर्न डिजीज एप पर अधिकाधिक इशूज यथा-पानी से भरे गढे, वाटर लॉकिंग साइट्स, सड़क पर पड़े कचरे की फ़ोटो अपलोड करना।
6. वेक्टर बोर्न डिजीज फॉलोअप एप पर इशुज का समाधान होने पर फ़ोटो अपलोड करना।
7. आर आर टी किट व टीम की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
8. दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
Monday, August 5, 2024
Sunday, August 4, 2024
टीकाकरण (VACCINATION)
टीकाकरण | |||||||||||||||||||||||||||||
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टी.बी. (TUBERCULOSIS)
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पोलियो (POLIO)
पोलियो
प्रश्नः पोलियो क्या है? प्रश्नः पोलियो कैसे फैलता है? प्रश्नः कैसे होती है पोलियो की पहचान? प्रश्नः क्या पोलियो विषाणु से हमेशा लकवापन होता है? प्रश्नः पोलियो बच्चों में ही क्यों ज्यादा होता है? प्रश्नः पोलियो से बचने के उपाय? प्रश्नः पोलियो वैक्सीन में कौनसी दवा होती है? प्रश्नः नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत पोलियो की दवाई कब पिलाई जानी चाहिए? पोलियो की खुराक बार-बार क्यों पिलायी जाती है? प्रश्नः क्या नवजात शिशु को यह दवा पिलानी जरूरी है? प्रश्नः जो बच्चा 5 से 8 बार पहले भी खुराक पी चुका हो, तो क्या फिर से उसे खुराक पिलानी चाहिए? प्रश्नः अगर बच्चा पोलियो की खुराक पीने के बाद उल्टी कर देता है तो क्या करना चाहिए? प्रश्नः अगर बच्चें के दस्त लगें हो या बुखार हो तो क्य बच्चें को पोलियो की खुराक देनी चाहिए? प्रश्नः अगर बच्चें को नियमित टीकाकरण से पोलियो की खुराक मिल गयी हो तो क्या फिर भी अभियान में पोलियो की खुराक देने की आवश्यकता है? प्रश्न जिन बच्चो ने टीकाकरण के दौरान 1 या 2 दिन पहले पोलियो ड्रॉप पी हो तो भी क्या उन्हे अभियान के दौरान यह दवा पिलानी चाहिए? |
तीव्र श्वसन रोग
तीव्र श्वसन रोग | |
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कैंसर (CANCER)
कैन्सर | ||
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मस्तिष्क ज्वर (मेनिंजाइटिस) (MENINGITIS)
मस्तिष्क ज्वर (मेनिनजाईटिस) | |
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लू और तापघात (HEAT STROKE)
लू और ताप घात
लू ताप घात से आम जनता भली प्रकार से परिचित है एवं समय समय पर सरकार एव अन्य स्वयसेवी संस्थायें विभिन्न माध्यम से स्वास्थ्य शिक्षा एवं लू ताप घात से बचने के लिए जन जाग्रति पैदा करती रही है फिर भी पूर्व वर्षो की भांती इस वर्ष भी आम जनता के सूचनार्थ व ज्ञानार्थ पुन वर्णित किया जाता है ताकि लू और ताप घात से आम जनता बचाव कर सके। इस गर्मी के प्रकोप मे लू से कोई आक्रान्त हो सकता है परन्तू बच्चे, गर्भवती महिलायें धुप में व दोपहर मे कार्यरत श्रमिक, यात्री, खिलाडी व ठण्डी जयवायु मे रहने वाले व्यक्ति अधिक आक्रान्त होते है।
लू तापघात के लक्षण शरीर मे लवण एव पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण मे लू व ताप घात निम्नांकित लक्षणों के द्वारा प्रभावी होता है। 1. सिर का भारीपन एवं सिरदर्द। 2.अधिक प्यास लगना एवं शरीर मे भारीपन के साथ थकावट। 3. जी मचलना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढना। 4.शरीर का तापमान अत्यधिक (105 एफ या अधिक ) हो जाना व पसीना आना बन्द होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना। 5. अत्यधिक प्यास का लगना बेहोशी जैसी स्थिति का होना / बेहोश हो जाना। 6. प्राथमिक उपचार / समुचित उपचार के आभार मे मृत्यु भी सम्भव है। उक्त लक्षण की लवण पानी की आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केन्द्र जो तापमान को सामान्य बनाये रखता है काम करना छोड देता है। लाल रक्त वाहिनियों मे टूट जाती है व कोशिकाओं मे जो पोटेशियम लवण होता है वह रक्त संचार मे आ जाता है जिससे ह्रदय गति व शरीर के अन्य अवयव व अंग प्रभावित होकर लू व ताप घात के रोगी को मृत्यु के मुंह मे धकेल देता है। रक्त परिपत्र की व इससे पूर्व भेजे गये परिपत्र के सदर्भ मे स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्रचार करे वैसे तो सभी चिकित्सक बचाव व उपचार जानते है परन्तु आपकी सामान्य जानकारी हेतु बचाव व उपचार के कुछ मुख्य बिन्दु पुनः उल्लेखित हैं - लू व तापघात के बचाव के उपाय 1.लू व तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे, गर्भवती महिलाओ, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते है इन्हे प्रातः 10 बजे से सायं 6 बजे तक गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठडे स्थान पर रहने हेतु रखने का प्रयास करें। 2.तेज धूप मे निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा मे ठंडे जल का सेवन करके बाहर निकले। 3.थोडे अन्तराल के पश्चात ठंडे पानी,शीतल पेय, छाछ , ताजा फलो का रस का सेवन करते रहे। 4. तेज धुप मे बाहर निकलने पर छाते का उपयोग करे अथवा पतले कपडे से सिर व बदन को ढक कर रखे। 5.आकाल राहत कार्यो पर अथवा श्रमिको के कार्यस्थल पर छाया का पूर्ण प्रबन्ध रखा जावें ताकि श्रमिक थोडी देर मे छायादार स्थानो पर विश्राम कर सकें। उपचार 1.लू व ताप घात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे स्थानो पर लिटा दे। 2. रोगी की त्वचा को गीले कपडे से स्पन्ज करते रहे तथा रोगी के कपडो को ढीला कर दे। 3. रोगी होश मे हो तो उसे ठन्डा पेय पदार्थ देवे। 4. रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा सस्थान मे उपचार हेतु लेकर जावें। गंभीर रोगियों को चिकित्सा संस्थानों मे दिये जाने वाला उपचार। 1.चिकित्सा संस्थानो मे एक वार्ड मे दो चार बैड लू तापघात के रोगियों के उपचार हेतु आरक्षित रखे जावे। 2.वार्ड का वातावरण कूलर या पंखे से ठन्डा पेयजल की व्यवस्था रखी जावें। 3. मरीज तथा उसके परिजनो के लिये शुद्व व ठन्डे पेयजल की व्यवस्था रखी जावे। 4.संस्थान मे रोगी के उपचार हेतु आपातकालीन ट्रे मे ओ.आर.एस., ड्रीपसेट, जी.एन.एस/जी.डी.डब्ल्यु/रिगरलेकटेक/लूड एवं आवश्यक दवाये तैयार रखी जावें। 5.चिकित्सक एव नर्सिग स्टाफ को इस दौरान ड्यूटी के प्रति सतर्क रखा जावें। 6 जन साधारण को लू तापघात से प्रभावित होने पर बचाव के उपायों की जानकारी प्रचार प्रसार के माध्यमो से दी जावें। 7. जिला स्तर पर सभी विभागों का सहयोग प्राप्त कर कार्यव्यवस्था को सुचारू रूप से बनाये रखा जावें। |
हेपेटाइटिस बी (HEPATITIS B)
हेपेटाइटिस बी | |
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